एक चाय हो जाय
शीर्षक –
बस एक चाय हो जाय
आंख खुली,बस एक गर्मा गरम कप चाय की चाहत मन में अगन जलाएं।
अखबार पढ़ते- पढ़ते पर चाय का साथ ,मज़ा बड़ा जाएं।
मिलें साथ, बिन चाय गपशप मजा न आएं।
कुछ न समझ आएं,तो बस इक चाय आ जाएं।
मित्रता की सुंगध ,चाय की याद दिलाएं।
चाय के साथ पढ़ाई,
विद्यार्थी को सारी रात जगाएं।
गर्मी ,सर्दी या हो बरसात,
चाय से स्वागत किया जाएं।
भजिए, पोहे,का साथ ,चाय की चाहत , खानें का स्वाद चार गुना बढ़ाए।
त्योहार हो या पार्टी,चाय रंग जमाएं।
संडे हो या मंडे,चाय की छुट्टी राश न आएं।
चाय बिगड़े काम, रिश्ते सभी में एक मिठास घोल जाएं।
चाय की चाहत,हर उम्र में रहें बरकरार।
बच्चा, बूढ़ा चाहें हो जवान, कहते बस एक चाय हो जाय।
विभा जैन (ओज्स)
इंदौर (मध्यप्रदेश)