Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2024 · 1 min read

अंतहीन

हर कोई, सबकुछ, कर गुज़रने की ज़िद में है
नहीं मालूम उसको, वो भी, वक़्त की जद में है

मौसम, दूर से तो, यहाँ का अच्छा लगता है
वैसे शहर में सुना है, मीठा ज़हर भी बिकता है

माहौल स्वरों से गूंजता बिजलियाँ हैं ढेर
हर शख़्स अपना मातम सर पर लिए फुदकता है

बड़े ही नेक ख़्याल हैं इस शहर के लोग
हर कोई अपने साथ अपना अज़ाब लिए फिरता है

मिट गये हैं जब से खरीद दार जिंस के
आदमी टोकरी में , अपना ईमान, लिए बेचने निकलता है

डा राजीव “सागरी”

1 Like · 24 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3344.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3344.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
सफर में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सफर में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
पूर्वार्थ
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ५)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ५)
Kanchan Khanna
घर बाहर जूझती महिलाएं(A poem for all working women)
घर बाहर जूझती महिलाएं(A poem for all working women)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बहुत उपयोगी जानकारी :-
बहुत उपयोगी जानकारी :-
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
What can you do
What can you do
VINOD CHAUHAN
ଅର୍ଦ୍ଧାଧିକ ଜୀବନର ଚିତ୍ର
ଅର୍ଦ୍ଧାଧିକ ଜୀବନର ଚିତ୍ର
Bidyadhar Mantry
शीर्षक:-आप ही बदल गए।
शीर्षक:-आप ही बदल गए।
Pratibha Pandey
"कुछ खास हुआ"
Lohit Tamta
अब न तुमसे बात होगी...
अब न तुमसे बात होगी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
*रामपुर रियासत के अंतिम राज-ज्योतिषी एवं मुख्य पुरोहित पंडित
*रामपुर रियासत के अंतिम राज-ज्योतिषी एवं मुख्य पुरोहित पंडित
Ravi Prakash
जूते व जूती की महिमा (हास्य व्यंग)
जूते व जूती की महिमा (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
आत्मविश्वास की कमी
आत्मविश्वास की कमी
Paras Nath Jha
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय प्रभात*
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
Gunjan Tiwari
जन पक्ष में लेखनी चले
जन पक्ष में लेखनी चले
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
हम कहाँ से कहाँ आ गए हैं। पहले के समय में आयु में बड़ों का स
ख़ान इशरत परवेज़
राम की धुन
राम की धुन
Ghanshyam Poddar
दोहा पंचक. . . . . पत्नी
दोहा पंचक. . . . . पत्नी
sushil sarna
बड़ा ही अजीब है
बड़ा ही अजीब है
Atul "Krishn"
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
बसुधा ने तिरंगा फहराया ।
Kuldeep mishra (KD)
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
कामचोर (नील पदम् के दोहे)
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
अंतहीन प्रश्न
अंतहीन प्रश्न
Shyam Sundar Subramanian
ये भी क्या जीवन है,जिसमें श्रृंगार भी किया जाए तो किसी के ना
ये भी क्या जीवन है,जिसमें श्रृंगार भी किया जाए तो किसी के ना
Shweta Soni
*क्या देखते हो *
*क्या देखते हो *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हनुमान बनना चाहूॅंगा
हनुमान बनना चाहूॅंगा
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
विश्व जल दिवस
विश्व जल दिवस
Dr. Kishan tandon kranti
नवरात्रि - गीत
नवरात्रि - गीत
Neeraj Agarwal
ना चाहते हुए भी रोज,वहाँ जाना पड़ता है,
ना चाहते हुए भी रोज,वहाँ जाना पड़ता है,
Suraj kushwaha
हर घर में नहीं आती लक्ष्मी
हर घर में नहीं आती लक्ष्मी
कवि रमेशराज
Loading...