“एक ख्वाब”
एक ख्वाब टुटा था उसका भी उस शाम,
चीखा था बहुत ज़ोर से और अश्क़ बहे थे आँखों से उसके भी उस शाम,
सबको लगा अरे एक लड़का हैं बस ख्वाब ही तो टुटा हैं,
बता नहीं सका वो सबको ख्वाब के साथ टुटा वो भी था उस शाम….!
“लोहित टम्टा”
एक ख्वाब टुटा था उसका भी उस शाम,
चीखा था बहुत ज़ोर से और अश्क़ बहे थे आँखों से उसके भी उस शाम,
सबको लगा अरे एक लड़का हैं बस ख्वाब ही तो टुटा हैं,
बता नहीं सका वो सबको ख्वाब के साथ टुटा वो भी था उस शाम….!
“लोहित टम्टा”