एक कहानी, दो किरदार लेकर
सारा दरिया, जंगल, तूफा
साथ में सब पार कर के ।
लौटे अपने-अपने घर को,
एक कहानी, दो किरदार लेकर ।
कविताएं सोच के लिखने वाला,
अब कहाँ गया मालूम नहीं ।
रंग में डूबे उलझे तड़पे,
एक कहानी, दो किरदार लेकर ।
दुनिया से तो लड़ जायेगा
लेकिन क्या अपनों से हारेगा?
जिसने सोची ऐसी कविता,
एक कहानी, दो किरदार देकर ।
© अभिषेक पाण्डेय अभि