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12 Oct 2021 · 1 min read

धर्म भी अजूबा है।

धर्म भी अजूबा है!
शक्ति की पूजा है।
शाक्त की आराधना है।

धर्म भी अजूबा है।
संत की विरागना है।
गृहस्थ की कर्मणा है।

धर्म भी अजूबा है।
संन्यासी की न्यासना है।
डाकू की डाकना है।

धर्म भी अजूबा है।
नेता की गर्जना है
प्रजा की मंतना है।

धर्म भी अजूबा है।
सत रज तम की आवाह्वना है।
रामा कोई नहीं बचना है।

स्वरचित@सर्वाधिकार रचनाकाराधीन।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

Language: Hindi
192 Views
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