एक अकेला
एक
कालोनी के
गुमनाम होते
उजाड़ बगीचे के
भीतर और भीतर
संकरी पगडंडी पर
चलकर
वो झुका ही रहता है ।
लापरवाही का
दंश झेल रहे
इस बगीचे में
रात अधरात
फेंक दिये गये कचरे को
किसी
कीमती मोती की
तरह बीनता जाता है ।
कि अचानक वाइल्ड फोटोग्राफी करने
वालों की आवाज
से गूंजते हैं उसके कान ।
ओह, देखो ,
हवाओं की तीरंदाजी ,
ये सूरज की चूनर
लपेट ली है उस दरख्त ने
वो चिड़िया ने
ओस का आचमन किसा
ये सुनो ,
ये तितली के पंख
कोई सुर छेड़ गये।
यह ,
सुनकर, वो भय से कांप गया ।
लगा जैसे कि यह कोई
भूतिया जगह है ।
उसके भाव आपस मे गड्डमगड्ड होने लगे ।
वो सूरज पूरा खिलने से पहले
वहां से भाग गया ।