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24 Jan 2024 · 1 min read

दहेज प्रथा

बेटी तो होती है वरदान, दहेज है एक अभिशाप।
बेटी चहकती है, महकाती है घर परिवार।
छोड़ बाबुल का घर अंगना, जाती है ससुराल।
बेटे-बेटी की जब होती है परवरिश एकसार,
तो क्यूँ माँगे बेटेवाले और बेटीवाले सहे ये भार।
कहते हैं बहू को लक्ष्मी, इसलिए कि वो लाती है धन और दौलत,
बेटा तो कहलाता घर का चिराग, इसलिए लगती है उसकी कीमत।
झूठ है कि बेटी होती है पराया धन, क्यूंकि बिकता तो बेटा है,
दहेज प्रथा तो है घुन, क्यूंकि दो पाटों में पिसता तो बेटा भी है।
बेटे को बेच क्यूँ नहीं शर्माते माँ बाप,
बहु की कमाई खाने में कैसे समझते अपनी शान?
बेटी बहू हैं दोनों घर की शान, समझो ये और बढ़ाओ अपना ज्ञान,
हटाओ दहेज प्रथा का अभिशाप, और बनाओ सबका जीवन खुशहाल।
बदलो स्वयं और बदलो समाज,
ना फर्क़ हो बहु-बेटी और बेटा-जमाई में,
ये सोच ही बदलेगी दुनिया, लाएगी खुशियाँ,
जोड़ेगी प्यार के सम्बंध और तोड़ेगी दहेज की दीवार।
बेटी तो होती है वरदान, दहेज है एक अभिशाप।

Language: Hindi
2 Likes · 47 Views
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