ऋतुराज वसंत (कुंडलिया)*
ऋतुराज वसंत (कुंडलिया)*
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मस्ती में हैं झूमते , क्षिति जल गगन समीर
गायन को उत्सुक हुए ,प्राणी सभी अधीर
प्राणी सभी अधीर ,राग – रंगों की माया
शुभ ऋतुराज वसंत ,गंध मादक ले छाया
कहते रवि कविराय ,नगर हर बस्ती-बस्ती
मौसम का अवदान ,देह में भरती मस्ती
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क्षिति = पृथ्वी
अवदान = योगदान ,सहयोग ,अच्छा काम
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451