क़यामत ही आई वो आकर मिला है
जैसी नीयत, वैसी बरकत! ये सिर्फ एक लोकोक्ति ही नहीं है, ब्रह्
रोशनी की शिकस्त में आकर अंधेरा खुद को खो देता है
जो हार नहीं मानते कभी, जो होते कभी हताश नहीं
फीके फीके रंग हैं, फीकी फ़ाग फुहार।
यूँ तो समुंदर बेवजह ही बदनाम होता है
जब किसान के बेटे को गोबर में बदबू आने लग जाए
*बादल चाहे जितना बरसो, लेकिन बाढ़ न आए (गीत)*
Ye chad adhura lagta hai,
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
Many more candles to blow in life. Happy birthday day and ma
गर्म हवाएं चल रही, सूरज उगले आग।।
बहुत कुछ अधूरा रह जाता है ज़िन्दगी में