जरूरत उसे भी थी
देखा पलट के उसने भी
हसरत उसे भी थी ॥
हम जिसपे मिट रहे थे
चाहत उसे भी थी ॥
चुप हो गयी देख कर वो भी इधर उधर
दुनिया से मेरी तरह शिकायत उसे भी थी ॥
और ये सोच के अंधेरे को गले से लगा लिया हमने
लेकिन रातों में जागने की आदत उसे भी थी ॥
एक दिन रो पड़ी वो मुझे परेशान देखकर
उस दिन पता चला क़ि मेरी ज़रूरत उसे भी थी ॥
अभिषेक पाण्डेय अभि
११/११/२२