उसी कन्धे पर
आसमान गिर रहा है
यह सोचकर मुझे लगा
कि उसके बोझ तले
मेरा दम घुट जाएगा
लेकिन कुछ वक्त
गुजर जाने के बाद
मैंने महसूस किया
कि वो आसमान
अब टिक गया है
मेरे अपने कन्धे पर
जिसे अब तक मैं
दुर्बल समझता रहा।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
अमेरिकन एक्सीलेंट अवार्ड प्राप्त।