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31 May 2024 · 1 min read

उलझन है मेरे दिल में, भरी हुई हर पल में

उलझन है मेरे दिल में, भरी हुई हर पल में,
समय की दौड़ में, बस जीने की ख्वाहिश है!!
रास्तों का सफ़र अनंत गहराइयों की याद दिलाते हैं,
बस इन आंखों में मंज़िलों के ख़्वाब दिखाते हैं!!

उलझी हुई फ़िक्रें, टकराती हैं मन की राहों में,
समझ नहीं आता, कैसे सुलझा लूँ ये सवालों में!!
रात के अंधकार में ढलती है उम्मीद की किरणें,
चंद्रमा की झलक रखती है भरोसा चांदनी रातों में!!

उलझन से जूझता हूँ, मन की कठिनाइयों से,
नए रास्ते खोजता हूँ, अपने सपनों के खींचाव में!!
पर जीने का आदान-प्रदान करता हूँ बेखुदी से,
उलझनों के बिना अधूरी है ज़िंदगी की कहानी!!

उलझनों की गहराइयों में मिलती है मायूसी का हाल,
सामर्थ्य है मेरे अंदर, संघर्ष करने का हृदय विशाल!!
उलझनों के साथ चलता हूँ, ख़ुद को खोजने की डोर में,
ख़ुद को निखारने से पूरी होगी मेरे मंज़िल की उद्धार!!

यूं ही नहीं कहते हैं इस ज़िंदगी को साज-ए-ज़िंदगी,
ये ज़िंदगी जो सजी है बस संघर्षों के धूप-छांव में!!

✍️✍️✍️
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”
बिलासपुर, छत्तीसगढ़

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