उरियां क़बा न दे
मैला लिबास दे मुझे उरियाँ क़बा न दे
दौलत दे बे शुमार ज़रा सा नशा न दे
डालूं जिधर नज़र तेरी रहमत है बे शुमार
तूने दिया जो हमको कोई दूसरा न दे
तेरी नवाज़िशों के सबब जी रहे हैं हम
दुनिया का बस चले तो ये हमको मिटा न दे
मोमिन के लिये ज़हर है ये मग़रिबी चलन
क़ौम ए मुहम्मदी को कहीं वरग़ला न दे
निकले हरेक लफ्ज़ से तारीफ़ बस तेरी
शिकवा करूँ मै तुझसे कभी होसला न दे
अल्लाह अपने ख़ौफ़ से भरदे क़मर का दिल
वादे किये जो तुझसे कहीं वो भुला न दे