“उम्र का पड़ाव”
न जाने कैसा
ये उम्र का पड़ाव है?
दरक रही उम्मीदें पर
कल को लेकर तनाव है।
तजुर्बे की किताब सी
अतीत का साया,
ये दुनिया लगती अब
सिर्फ मोह-माया,
बावजूद जिन्दगी से
क्यों हो रहा लगाव है,
न जाने कैसा
ये उम्र का पड़ाव है?
जीवन का सन्ध्याकाल
कर इशारे बुला रहा,
काश…काश करके
अब क्या पछता रहा,
आखिर जिन्दगी से क्यूँ
अब भी मनमुटाव है,
न जाने कैसा
ये उम्र का पड़ाव है?
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति +
दुनिया के सर्वाधिक होनहार लेखक के रूप में
विश्व रिकॉर्ड में दर्ज।