उत्तर नही है
इन दिनों,
रसोई तक का
सब
सामान
बदला- बदला सा है।
बदलाव को
कोई नहीं
रोक सकता।
काल की
अपनी चाल है,
। अपनी गति से
समय आता और
जाता है।
पर, मै तो ,
वही की वही ,
वैसी की वैसी रही,
मेरे ,होने मे,
कोई बदलाव नहीं,
ये, लो,
राशन आ गया।
इसे संभालो,,
खाना पक गया,
परोसो,
तैयार हो,
चलो ,समाज में,
दर्शन दो।
पांच दशक में,
मेरे वतन के,
सात प्रधानमंत्री,
तक बदल गये ,
मेरे वोट से ।
पर मेरा समय,
वैसा ही रहा।
जबकि,
कहा तो
यह भी जाता है
कि, ‘समय लौटता है।’
तो,,फिर,
कब ,लौटेगा,
मेरा बचपन,
क्या अगले जन्म में।