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9 Jul 2021 · 1 min read

उत्तराखण्ड त्रासदी

जो न सोचा था उन्होंने कभी
उस दिन का मंजर देखकर डर गये थे सभी.
वह पल बहुत ख़ौफ़नाक था
जब सब कुछ तबाह हो रहा था

छीन लिया कुदरत ने कई जानों को
वहाँ कोई नहीं था बचाने वाला उन मासूमों को
दृश्य देखकर वहाँ चारों तरफ हाहाकार हो रहा था
मन, मस्तिष्क और हृदय में उस दिन प्रकृति का प्रहार हो रहा था

डर की वह दास्तान अब आँशुओं में बदल रही थी
उस दिन न जाने कितनी जिन्दगियां मौत के घाट उतर गई थी।
कण्ठ विदीर्ण हो गया था उनका पुकारते पुकारते
जब इस त्रासदी में अपनों को देखा उन्होंने डूबते बहते

पल भर मे वो अपनों का साथ छोड़ गए
इस त्रासदी में न जाने कितने घर बर्बाद हो गए
किसी ने माँ, किसी ने बाप, किसी ने अपनी संताने खोई होंगी
उनका विलाप सुनकर ये धरा भी जरूर रोई होगी

मलबे में लथपथ अपनों से कोई जरूर लिपटा तो होगा
विभत्स लाशों को देखकर हे ईश्वर उन्होंने तुझे कोसा तो होगा
विनती है प्रभु फिर कभी इस देवभूमि पर ऐसी विपदा न आये
हमारी पावन देवभूमि कहीं आपदा भूमि न कहलाई जाये

Language: Hindi
214 Views
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