उड़ने का हुनर आया जब हमें गुमां न था, हिस्से में परिंदों के
उड़ने का हुनर आया जब हमें गुमां न था, हिस्से में परिंदों के कोई आसमाँ न था.
ऐसा नहीं कि ख़्वाहिशें नहीं थी हमारी,पर उनका सरपरस्त कोई मेहरबाँ न था. एक ख़्वाब क़त्ल करके, एक ख़्वाब बचाते, अपने ज़िगर में ऐसा बड़ा सूरमा न था. तन्हा सफ़र में इसलिए तन्हा ही रह गए, थे रास्ते बहुत से, मगर कारवाँ न था..!!!
Vishal babu..✍️✍️