Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jul 2021 · 1 min read

#इसलिए मैं इंसान हूँ।#

जरा-सी कामयाबी से लगता मैं ही “भगवान्” हूँ,
गलतियाँ करता हूँ इसलिए मैं इंसान हूँ।
अपनी ही कमियों से मैं परेशान हूँ,
“मैं” मैं करता हूँ इसलिए खुद से ही हैरान हूँ।
गलतियाँ करता हूँ इसलिए मैं इंसान हूँ।।
इबादत नहीं किसी का ना किसी की परवाह है,
मंज़िल का नहीं कुछ पता ना ही कोई चाह है।
उम्र गुजरने के साथ लगता है मैं वही नादान हूँ,
गलतियाँ करता हूँ इसलिए मैं इंसान हूँ।
भीड़ में भी तन्हा रहने की आदत हो गई है,
यही तन्हाई वक़्त के साथ आफत हो गई है।
अपने कृत्यों से बना मैं तो शैतान हूँ,
गलतियाँ करता हूँ इसलिए मैं इंसान हूँ।
दरिया वही है, शाहिल वही है पतवार बदल गया,
वक्त वही है, जहाँ वही है बस इंसा का व्यवहार बदल गया,
जमीं पर पैर टिकते नहीं और चढ़ा मैं आसमान हूँ,
गलतियाँ करता हूँ इसलिए मैं इंसान हूँ।
मुसीबतें आती हैं, जाती हैं इंसान को अड़े रहना चाहिए,
चाहे जमीं सरकती जाये पाँव दबाकर खड़े रहना चाहिये।
सखा मेरा नहीं कोई मैं अवगुणों की खान हूँ,
गलतियाँ करता हूँ इसलिए मैं इंसान हूँ।
बेवजह छूटते तीरों का मैं कमान हूँ,
परवान चढ़ ना पाए जो मैं वो खोखला शान हूँ।
जिंदगी में पल-पल देता मैं इम्तिहान हूँ,
गलतियाँ करता हूँ इसलिए मैं इंसान हूँ।
जरा-सी कामयाबी से लगता मैं ही “भगवान्” हूँ,
गलतियाँ करता हूँ इसलिए मैं इंसान हूँ।
गलतियाँ करता हूँ इसलिए मैं इंसान हूँ।।
✍️हेमंत पराशर✍️

Language: Hindi
3 Likes · 236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शीर्षक : पायजामा (लघुकथा)
शीर्षक : पायजामा (लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*अध्याय 8*
*अध्याय 8*
Ravi Prakash
जख्म भी रूठ गया है अबतो
जख्म भी रूठ गया है अबतो
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बहते रस्ते पे कोई बात तो करे,
बहते रस्ते पे कोई बात तो करे,
पूर्वार्थ
लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री
Kavita Chouhan
भजन- सपने में श्याम मेरे आया है
भजन- सपने में श्याम मेरे आया है
अरविंद भारद्वाज
"" *प्रताप* ""
सुनीलानंद महंत
ये दिल है जो तुम्हारा
ये दिल है जो तुम्हारा
Ram Krishan Rastogi
चाँद से वार्तालाप
चाँद से वार्तालाप
Dr MusafiR BaithA
2486.पूर्णिका
2486.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल- मशालें हाथ में लेकर ॲंधेरा ढूॅंढने निकले...
ग़ज़ल- मशालें हाथ में लेकर ॲंधेरा ढूॅंढने निकले...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
बाबर के वंशज
बाबर के वंशज
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
जिंदगी की राह में हर कोई,
जिंदगी की राह में हर कोई,
Yogendra Chaturwedi
हवाओ में हुं महसूस करो
हवाओ में हुं महसूस करो
Rituraj shivem verma
ग़ज़ल (जब भी मेरे पास वो आया करता था..)
ग़ज़ल (जब भी मेरे पास वो आया करता था..)
डॉक्टर रागिनी
पढ़ाई -लिखाई एक स्त्री के जीवन का वह श्रृंगार है,
पढ़ाई -लिखाई एक स्त्री के जीवन का वह श्रृंगार है,
Aarti sirsat
मुझे लगता था —
मुझे लगता था —
SURYA PRAKASH SHARMA
भीम आयेंगे आयेंगे भीम आयेंगे
भीम आयेंगे आयेंगे भीम आयेंगे
gurudeenverma198
साँवरिया
साँवरिया
Pratibha Pandey
नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें
नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
बहारों कि बरखा
बहारों कि बरखा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मोबाइल है हाथ में,
मोबाइल है हाथ में,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मैंने किस्सा बदल दिया...!!
मैंने किस्सा बदल दिया...!!
Ravi Betulwala
■ एक मार्मिक तस्वीर पर मेरा एक तात्कालिक शेर :--
■ एक मार्मिक तस्वीर पर मेरा एक तात्कालिक शेर :--
*प्रणय प्रभात*
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कुछ लिखूँ.....!!!
कुछ लिखूँ.....!!!
Kanchan Khanna
हुस्न और खूबसूरती से भरे हुए बाजार मिलेंगे
हुस्न और खूबसूरती से भरे हुए बाजार मिलेंगे
शेखर सिंह
सम्मान से सम्मान
सम्मान से सम्मान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
" कृषक की व्यथा "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"जेब्रा"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...