Maybe this is me right now
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
लपेट कर नक़ाब हर शक्स रोज आता है ।
अनुरक्ति की बूँदें
singh kunwar sarvendra vikram
जब एक लौ एक उम्मीद जला करती है,
गैरो को कोई अपने बना कर तो देख ले
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
अभी कहाँ विश्रांति, कार्य हैं बहुत अधूरा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
*लहरा रहा तिरंगा प्यारा (बाल गीत)*
बिखर गई INDIA की टीम बारी बारी ,