इश्क का सही सबक नहीं है l भाग – १
इश्क का, सही सबक नहीं है l
इश्क से कुछ, ताल्लुक नहीं है ll
ताल्लुक को, खासा तंग रखे l
यह तो कोई, इश्क नहीं है ll
ताल्लुक को, तर तर ना करे l
हिज्र में बहा, अश्क नहीं है ll
मानवता का, सबक नहीं है l
मानव कहे का, हक नहीं है ll
कायनात, सही चल रही है l
बता खुदा कहाँ तक नहीं है ll
कर्म, कर्तव्य है, मोह न है l
यूँ प्यास की, बकबक नहीं है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”