इश्क का किस्सा
इश्क का एक किस्सा सुनाएं तुम्हें,
अश्क से रूबरू फिर कराएं तुम्हें,
बात है दिल्लगी की सुनो गौर से,
हार कर जीतना हम सिखाएं तुम्हें,
एक था शख्स जो खूब चाहे हमें,
आज उससे चलो हम मिलाएं तुम्हें,
जुल्फ बादल सी’ आंखें लगे झील सी,
सादगी गाय सी क्या बताएं तुम्हें,
होंठ पे लालिमा, आंख सुरमा लगा,
गिर रही बिजलियां, क्या दिखाएं तुम्हें,
वो हँसे तो लगे बिजलियां कङकतीं,
स्वाति के बूंद से अश्रु पिलाएं तुम्हें,
कांध पर सिर रखूं जब कभी जान के,
स्वर्ग का सुख सलोना बताएं तुम्हें,
एक भंवर उठा जिंदगी में ऐ’सा,
बेबसी बेकदी सब दिखाएं तुम्हें,
लूट तूफान ले कर गया दोस्त है,
आंधियों के दरश क्या दिखाएँ तुम्हें,
साथ बीते दिनों में चलो तुम मे’रे,
अप्सरा वो सुघर हम दिखाएं तुम्हें।
पुष्प ठाकुर