Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Dec 2023 · 2 min read

खुशियों की सौगात

ऑथर – डॉ अरुण कुमार शास्त्री
टॉपिक – क्या खोया क्या पाया 2023 में
शीर्षक – खुशियों की सौगात
भाषा – हिन्दी
विधा – स्वछंद काव्य

नई – नई शुरुआत थी
बाईस के जाने से मन में अकुलाहट थी
लेकिन तेईस के आगमन से
तन मन में गर्माहट थी
बाईस में जो न कर पाया था
सोचा तेईस में पूरा कर लूँगा
कई अधूरे काव्य ग्रंथ थे
उन सब से अपना मन भर लूँगा
कैसे कैसे ख्वाब अधूरे चाहत के संग रह गए
बाईस जैसे तेईस निकला
जैसे फिसली रेत से बह गए
कण कण निकल पल पल निकला
सपन अधूरे रह गए
बीत रही है उम्र हमारी
हम बैठे ही रह गए
जनवरी आई और चली गई
ठंढ के संग वो कोहरा लाई
निकल सके न रजाई से राजा
हाँथ सेकते रह गए
बाईस में जो न कर पाया था
सोचा तेईस में पूरा कर लूँगा
कई अधूरे काव्य ग्रंथ थे
उन सब से अपना मन भर लूँगा
कैसे कैसे ख्वाब अधूरे चाहत के संग रह गए
बाईस जैसे तेईस निकला
जैसे फिसली रेत से बह गए
धीरे – धीरे वर्ष सुहाना
खाना पीना और सो जाना
नियम लिखे कैलेंडर पर थे
लिखे ही तो रह गए
एक दिन हमको गुस्सा आया
अपने आलसपन पे शरमाया
कर के कठोर मन को हमने फिर
राम देव का योग ध्यान अपनाया
पहन के खेल के जूते हम भी
दौड़ लगाने निकल गए
सच पूंछों तो उस दिन से हम
चकित चतुर स्वस्थ स्वाबलम्बी हो गए
बाईस जैसे तेईस निकला
जैसे फिसली रेत से बह गए
कण कण निकल पल पल निकला
सपन अधूरे रह गए
बीत रही है उम्र हमारी
हम बैठे ही रह गए

Language: Hindi
170 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all
You may also like:
वीर-जवान
वीर-जवान
लक्ष्मी सिंह
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
पूर्वार्थ
2278.⚘पूर्णिका⚘
2278.⚘पूर्णिका⚘
Dr.Khedu Bharti
71
71
Aruna Dogra Sharma
पितर पाख
पितर पाख
Mukesh Kumar Sonkar
पिता बनाम बाप
पिता बनाम बाप
Sandeep Pande
शुरुआत जरूरी है
शुरुआत जरूरी है
Shyam Pandey
माॅं लाख मनाए खैर मगर, बकरे को बचा न पाती है।
माॅं लाख मनाए खैर मगर, बकरे को बचा न पाती है।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
माता रानी की भेंट
माता रानी की भेंट
umesh mehra
बेवक्त बारिश होने से ..
बेवक्त बारिश होने से ..
Keshav kishor Kumar
रहती कब रजनी सदा, आता निश्चित भोर(कुंडलिया)*
रहती कब रजनी सदा, आता निश्चित भोर(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
सवाल जवाब
सवाल जवाब
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत
पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत
कवि रमेशराज
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
दोस्त ना रहा ...
दोस्त ना रहा ...
Abasaheb Sarjerao Mhaske
मिलन
मिलन
Gurdeep Saggu
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
आंगन को तरसता एक घर ....
आंगन को तरसता एक घर ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
बदल चुका क्या समय का लय?
बदल चुका क्या समय का लय?
Buddha Prakash
सांवले मोहन को मेरे वो मोहन, देख लें ना इक दफ़ा
सांवले मोहन को मेरे वो मोहन, देख लें ना इक दफ़ा
The_dk_poetry
💐प्रेम कौतुक-538💐
💐प्रेम कौतुक-538💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
🔥वक्त🔥
🔥वक्त🔥
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
* बेटियां *
* बेटियां *
surenderpal vaidya
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – बाल्यकाल और नया पड़ाव – 02
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – बाल्यकाल और नया पड़ाव – 02
Sadhavi Sonarkar
देखी है ख़ूब मैंने भी दिलदार की अदा
देखी है ख़ूब मैंने भी दिलदार की अदा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दस्तक
दस्तक
Satish Srijan
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...