*सवा लाख से एक लड़ाऊं ता गोविंद सिंह नाम कहांउ*
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
सफ़र है बाकी (संघर्ष की कविता)
Tum to kahte the sath nibhaoge , tufano me bhi
खरीद लो दुनिया के सारे ऐशो आराम
राजनीति अब धुत्त पड़ी है (नवगीत)
अपनी तस्वीरों पर बस ईमोजी लगाना सीखा अबतक
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
निराशा हाथ जब आए, गुरू बन आस आ जाए।
हम कितने नोट/ करेंसी छाप सकते है
मानव पहले जान ले,तू जीवन का सार
बेमतलब सा तू मेरा, और मैं हर मतलब से सिर्फ तेरी
आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब