इश्क का अंजाम
लुट के ये जाना इश्क़ का अंजाम क्या है
अब समझ आया इश्क़ का काम क्या है
हम मोहोब्बत में कुछ इस तरह से उलझे
भूल ही बैठे थे हम तो हमारा नाम क्या है
झूट कहते हैं लोग इश्क़ छोड़कर खुश हैं
जिसे लगी ये चोट उसको आराम क्या है
चैन आता नही है, एक पल भी दिल को
ना पता क्या है सुबह, और शाम क्या है
कैद होकर रह गया है, इक आजाद पंछी
ज़िंदगी को अब यूं लगाता विराम क्या है
कवि आजाद मंडौरी
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