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22 Mar 2024 · 1 min read

खाली पेड़ रह गए

कांटे निकल गए सभी, बस बेर रह गए।
गिर गए पत्ते मगर खाली पेड़ रह गए।

मर गई इंसानियत शहरों में,
यहां तो बस लाशों के ढेर रह गए।

सुनते हैं कि भीड़ में तन्हा है वो,
तेरे शहर में हम भी अकेले खैर रह गए।

कभी घूमते थे हम दोनों इन गलियों में,
अब तो बस इन सड़कों पर मेरे पैर रह गए।

रोशनी थी कल दोस्ती हमसे भी किसी को,
पर आज तो केवल बैर रह गए।

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