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18 Jan 2017 · 1 min read

“इश्क करना नही आता ” -गजल

“हंसना नही आता, हमे रोना नही आता
रहूं पास जो तेरे,तो खफा होना नही आता,

लिखे थे यहां मुकद्दर मे कुछ साज जो मेरे
आज भी उन्हे हमे बयां करना नही आता,

नये तराने भी मिले महफिलो मे तो क्या
यूं ही हमे किसी और का होना नही आता,

रखो इश्क दिल मे दबाके पास तुम अपने
क्या कहूं इश्क मे हमे खोना नही आता,

तुमसे रुठने कि भी कोशीश करूं कैसै
हमें तो बेवजह रुठ जाना भी नही आता”

करते है बेइंतहा इश्क हम आज भी तुमसे
पर लोग कहते,हमे इश्क करना नही आता

1 Comment · 612 Views
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