काश तुम में वो बात होती!
काश तुम में वो बात होती!
कुछ नई, कुछ पुरानी तकरार होती!
काश तुम्हें चाहने के लिए,
ये दिल ख़ुद से इजाज़त न माँगता!
काश तुमपे इतना ऐतबार होता,
कि जुदाई में भी एक तड़प होती!
और तुम्हे खोने के डर से इकरार होता!
काश मेरे इश्क में मेरी ही रजा होती,
तुमसे लड़ने के लिए एक वजह होती!
काश तुम्हारा होना काफ़ी होता,
काश तुम में वो बात होती!
मेरी तुम्हारी एक कहानी होती!
©अभिषेक पाण्डेय अभि