इन्द्रप्रस्थ में… तंदूर
इंद्रप्रस्थ में जगह-जगह पर धधक रहे तंदूर
संसद में तंदूर लोभ का
राजनीति धधकती
भून वायदे, आश्वासन का
अविरल धुआं उठाती
साक्षी है जनता – जनार्दन रुग्ण व्यथित मजबूर
इंद्रप्रस्थ में जगह-जगह पर धधक रहे तंदूर ।
सड़कों पर तंदूर नग्नता
का अनवरत धधकता
जिसमें सहज भाव से जलती
नवयुग की मानवता
तरस रहे प्राणों की कीमत पाने को मजबूर
इंद्रप्रस्थ में जगह-जगह पर धधक रहे तंदूर ।
यशधी योगी गुणी तपस्वी
तंदूरों में जलते
इन्हें जलाने वाले संसद
की छाया में पलते
कब तक देंगे त्रास देश को ये युग के नासूर
इंद्रप्रस्थ में जगह-जगह पर धधक रहे तंदूर ।
हैं अदृश्य तंदूर अनगिनत
गली-गली घर-घर में
जिसमें स्वाहा होते रहते
नर-तन घड़ी-पहर में
जहाॅं नहीं तंदूर, वहाॅं भी दाहकता भरपूर
इंद्रप्रस्थ में जगह-जगह पर धधक रहे तंदूर ।
महेश चन्द्र त्रिपाठी