इजोत
अन्हारे अन्हार,देसे देस
ऐक्क आस,इजोतमे
राज्य वैशाल, देहेर से
असगर टुगर,कानि उदास
बौध्द पुछलियनि – किछ कहब ?
एकाएक बजलाह
रे छौड़ा,तों बताह
वेदान्त कतह,कोन गाम
आश्चर्यसँ भऽ हुनि तकलहुँ
तेँ लागल जेना ओ कहि रहला – .
की कहब आ की सुनब
तों बैसा,माटिक मरघट
अखनो प्रश्न,ओहिना बहुते रास
विनयश्री को विनय कामना
अन्तस्थल के आत्मा मे
अनुभूति मुदित,संस्कृति संस्कार
ठीक एकटा ,ओहि क्षण
नाम तिरभुक्ति इतिहास
ओह दर्शन अभिलाषी
ओहि दिनक बाद
हमर नैन
हमार आत्माक नोर,हमर संग
धन्य होइ माँ मैथिली
जियब जिनगीक आधार।
श्रीहर्ष