इंसानियत से कोसों दूर ..
एक बस एक शक की बिना पर ,
मार डाले १३ मजदूर ।
जो जान हथेली पर रख कर आए थे,
अपने लिए रोटी कमाने इतनी दूर ।
अरे ! बंदूक दागने से पहले जांच पड़ताल ,
तो कर लेते ।
अपनी बेसब्री के हाथों क्यों हुए मजबूर ।
अब उनके परिवारों का क्या होगा?
जिनको अपनी भूल से बेसहारा कर दिया।
फिर सहानुभूति के दो मगरमच्छी आंसू बहाओगे ।
और उनके इंसान लौटने के बदले चंद रुपय ,
फेंक दोगे उनकी लाशों पर ,
और परिजनों के अश्कों और आहोँ पर ।
क्योंकि हमें मालूम है इंसानियत है तुमसे कोसों दूर ।