आ अब लौट चलें
नाटक
“आ अब लौट चलें”
राजू: रामू ! रामू ! जल्दी करो, स्कूल का टाइम हो गया है ।
रामू: नहीं यार, मैं आज से स्कूल नहीं जाऊंगा ।
राजू: स्कूल नहीं जाएगा? पर क्यों नहीं जाएगा?
रामू: मुझे कुछ समझ में नहीं आता। अंग्रेजी वाले सर तो रोज कहते हैं कि मेरे बस की पढ़ाई नहीं है ।
राजू: अरे बस, इतनी सी बात है वह तो तुम्हें इसलिए कहते हैं कि तुम और मन लगाकर पढ़ो ।
रामू:नहीं, मुझे सच में , इंग्लिश में कुछ समझ में नहीं आता ।
राजू: कोई बात नहीं थोड़ी और कोशिश करो , आ जाएगी और मैं हूं ना , मैं करूंगा तुम्हारी मदद । चलो, अब जल्दी करो… सुनो तो घंटी बज रही है , स्कूल की ।
रामू: नहीं यार, मैंने कह दिया ना । बस, मैं आज से स्कूल नहीं जाऊंगा ।
राजू: अच्छा ठीक है । मैं भी नहीं जाता स्कूल । लेकिन हम पूरा दिन बताएंगे कहां ? घर जाएंगे तो जाते ही डांट पड़ेगी ।
रामू: तू जा स्कूल, तुझे तो सब कुछ आता है और तू तो स्कूल का सबसे अच्छा बच्चा है ।और तुझे देर हो जाने के कारण सर भी नहीं डांटेंगे । तू तो सबका चहेता है ना । तू कुछ भी कहता है, सब मान लेते हैं ।
राजू: तू चल तो सही, मैं सर से कह दूंगा की मेरे पैर में मोच आ गई इसलिए देर हो गई । तुझे कोई कुछ नहीं कहेगा ।
रामू: देखा, तुम्हारी झूठ को भी सब मान लेते हैं । पिछले सोमवार को मैंने सर से कहा कि मेरे पेट में दर्द है तो सर ने कहा कि एक तो काम नहीं करते ऊपर से बहाना बनाते हो ।
राजू: तू चल, मैं सर को सब कुछ बता दूंगा ।
रामू: बस कह दिया ना, कह दिया। मैं स्कूल बिल्कुल नहीं जाऊंगा ।
और तुझे मेरे लिए रुकने की कोई जरूरत नहीं है ।
राजू: ठीक है तेरी मर्जी ।
रामू: चल स्कूल के पीछे वाली गली से निकल कर चलते हैं ,बाज़ार में ।
राजू: लेकिन बाजार में करोगे क्या?
रामू: घूमेंगे फिरेंगे ऐश करेंगे और क्या?
राजू: देख ,अभी भी चल स्कूल चलते हैं और हां सर से मैं कह दूंगा कि मेरे पर में मोच आने के कारण देर हो गई । वह पक्का तुझे नहीं धमकायेगे ।
जारी है…..