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15 Feb 2021 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

शक़ मेरा यकीन में बदल गया
जाहिल जब ज़हीन में ढल गया ।
आ ही गई जनता वश में आखिर
जादू सियासत का जो चल गया।
कमाल है ये रुतवा-ए-शोहरत का
खोटा सिक्का भी आज चल गया।
कौन सोंचता है जाकर बुलंदी पे
किन राहों पे वो किसे कुचल गया ।
फायदा क्या है अजय पछताने का
मौका ही जब हाथ से निकल गया।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
2 Likes · 201 Views
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