आस्था और भक्ति की तुलना बेकार है ।
आस्था और भक्ति की तुलना बेकार है ।
इस रस का स्वाद घंटियों के कोलाहल , मंत्रों के उच्चारण , धर्म ग्रंथों के पठन और एकांत की एकाग्रता में सर्वथा एक समान ही है ।
” वस्तुतः पहुँचना तो हमें ईश्वर तक ही होता है ।”
सीमा वर्मा
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