आसमान में बदरा छाये
आसमान में बदरा छाये
देख कृषक मन भी हरषाये
धरती माँ की प्यास बुझाने
फसलों के तन को सहलाने
बूंदों का संगीत सुनाने
रिमझिम रिमझिम जल बरसाये
आसमान में बदरा छाये
किस्मत अपनी भी बदलेगी
धरती अब सोना उगलेगी
मीठे मीठे प्यारे प्यारे
आँखों में आ स्वप्न सजाये
आसमान में बदरा छाये
क़र्ज़ किसानों पर है इतना
गिरवी तक घर उनका अपना
हरा भरा करके खेतों को
खुशियाँ ही खुशियाँ घर लाये
आसमान में बदरा छाये
डॉ अर्चना गुप्ता