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24 May 2021 · 1 min read

आशीष

उन सभी लोगों को समर्पित जो एक दूसरे की मदद कर रहे हैं..

एक पड़ेगा कदम अकेला और अनागिनत साथ पग चल देंगे।
मुखरित आलंबन चुन-बिन कर, सौहार्द भरे लोचन होंगे।

संग अंगरक्षक बन जायेंगी, उमड़ेगी आशाएं झिलमिल।
मानस पर शीतलता होगी, बचपन होगा दृढ़ और खिलखिल।

तुमने मानवता का रिश्ता, ओ साथी खूब निभाया है।
अपनी अविचल सेवा बल से, ओ साथी देश बचाया है।

आशीष अदृश्य असीम तुम्हारी पीढ़ी को महकायेंगे..
इस जगत के ये निश्छल साथी, सच युगों-युगों याद आयेंगे।

रश्मि लहर,
लखनऊ

Language: Hindi
1 Like · 293 Views
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