” आशा दीप “
संध्या ऊषा का सम्बल खोकर ,
नीरवता में डूब जाती ,
फ़िर भी जग हेतु नक्षत्र के ,
आशा दीप जलाकर जाती ,
हमें बताती ,निशा यदि है ,
दिवस भी तेरा दूर नहीं ,
आस न छोडना है आने वाला ,
स्वर्णिम आभा लिये सवेरा ||
…निधि …
संध्या ऊषा का सम्बल खोकर ,
नीरवता में डूब जाती ,
फ़िर भी जग हेतु नक्षत्र के ,
आशा दीप जलाकर जाती ,
हमें बताती ,निशा यदि है ,
दिवस भी तेरा दूर नहीं ,
आस न छोडना है आने वाला ,
स्वर्णिम आभा लिये सवेरा ||
…निधि …