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15 Nov 2020 · 1 min read

आशाओं के दीप जले …

खुशियों की बात चले
हृदय में अनुराग पले,
बुजुर्गों के आशीष तले
आशाओं के दीप जले ।।

दु:ख बिपति का अन्धेरा
धरा से मिट जाए,
विनोद हँसी ठिठोली कर
मनुज फिर से गले मिले।।

हर गली कोने से
अन्धकार हटे मिटे,
अमावस की रात में
दिव्य ज्योति फैले-खिले।।

आदर्शों और मूल्यों को
जीवन में स्थान मिले,
निहित स्वार्थ भूलकर
सर्वहित की पवन चले।।

बच्चों और बुजुर्गों पर
आदर-प्रेम सरित बहे,
माँ बेटी बहनों की
प्रतिष्ठा कोई न छले ।।

मानवता की सीमा में
समाज में सामंजस्य बढ़े,
मन-मुटाव कडवाहट का
कुटिल समय सीघ्र टले ।।

लक्ष्मी माता धन बरसायें
धन-धान्य से परिपूर्ण करें,
मन के सन्ताप मिटें
चन्द्र से मुख सबके खिले।।

Language: Hindi
2 Comments · 397 Views
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