आशाओं के दीप जलाए थे मैने
आशाओं के दीप जलाए थे मैने
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आशाओं के दीप जलाए थे मैने,
जिससे जगमग हो मेरा जीवन।
तूफान ने भी उनको बुझा दिया,
कोई यहां बुझा कोई वहां बुझा।।
जीवन के यौवन सफर में,
एक साथी मैने बनाया था।
दो कदम चलकर बिछड़ गए,
कोई यहां गिरा,कोई वहां गिरा।।
दिल में अरमान बहुत थे मेरे,
कुछ सोच समझकर संजोए थे।
उनको भी ऐसी नजर लगी
कोई यहां दफ़न हुआ कोई वहां दफ़न हुआ।।
दिल लगाया था किसी से मैने,
हर चाहत दी थी उसको मैने।
उसने भी दिल मेरा तोड़ दिया,
कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम