आशा/उम्मीद
दामन थामे आशा का
जीवन पथ पर चलता चल l
कर्म प्रधान बना कर खुदको
भाग्य की रेखा बदलता चल l
माता और पिता को तो है
तुझसे यह उम्मीद बड़ी l
कितनी भी मुसीबत हो या
संकट की हो कोई घड़ी l
रहमत की वर्षा होगी तू
पुण्य काज को करता चल l
कर्म प्रधान बना कर खुद को
भाग्य की रेखा बदलता चल l….
अब तो तुझे गुजरना होगा
आंधी और तूफानों से l
टकराना होगा तुझको तो
पर्वत और चट्टानों से l
राह सफर की सरल बनेगी
पथ की राह पे चलता चल l
कर्म प्रधान बना कर खुद को
भाग्य की रेखा बदलता चल l…..
डॉ अनिल कुमार कोरी