आल्हा ऊदल बड़े लड़ैया, चम चम चमक रही तलवार।
आल्हा,
आल्हा -ऊदल बड़े लड़ैया, चम- चम चमक रही तलवार।
मची खलबली रण में भारी, होने लगे वार पर वार।।
जब- जब दुश्मन रण में आये,टूट पड़े ऊदल तत्काल।
काट -काट सर धूल चटाते, कर रणभूमि रक्त से लाल।।
आल्हा- ऊदल लड़ी लड़ाई, ऊदल तभी भरी हुँकार।
चुन-चुन सारे दुश्मन मारे,ऊदल करते हैं संहार।।
महाबली ऊदल बलशाली, भीम सरीखे विपुल महान।
सेना जब -जब आल्हा गाये,लड़ने जायें वीर जवान।।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष
जिला चिकित्सालय, सीतापुर।