आलस्य
ओ आलस! क्यों रोक रहा है मुझे लक्ष्य तक जाने में
तू ही राही की बाधा है मंजिल तक पहुँचाने में
जोश शिथिल तू कर देता है हौसलों को आजमाने में
समझदार सब समझ गए नहीं लाभ तुझे अपनाने में।
– मानसी पाल ‘मन्सू’
ओ आलस! क्यों रोक रहा है मुझे लक्ष्य तक जाने में
तू ही राही की बाधा है मंजिल तक पहुँचाने में
जोश शिथिल तू कर देता है हौसलों को आजमाने में
समझदार सब समझ गए नहीं लाभ तुझे अपनाने में।
– मानसी पाल ‘मन्सू’