आये थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास – आपत्तिजनक कहावत/
“आये थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास” लोकोक्ति की एक पड़ताल :
यह परम्परा से चली आ रही एक लोकोक्ति है। जाहिर है इसे किसी ने बनाया होगा।
कपास ओटना कोई बुरा काम नहीं है। बुरे, व्यर्थ एवं बकवास कृत्य के बीच यदि कोई कपास ओटने जैसा लाभदायी काम करता है तो और अच्छा है। हरिभजन करना मानवसमय एवं श्रम की बर्बादी है।
जिस जमाने में यह कहावत गढ़ी गयी होगी, गाढ़ी मेहनत करने वाले श्रमण-बहुजन वर्ग के ‘धर्म’-जिम्मे ही कपास ओटने का काम भी रहा होगा। अतः तय है कि अंधविश्वास का साथ देने वाली एवं श्रम पर हमलावर व्यंग्य करने वाली यह कहावत बनाना किसी परजीवी-काहिल सवर्ण की कवायद एवं करतूत रही होगी।
DrMusafir Baitha जी की वाल से।