–आयेगी फिर से —
गम में डूबे हुए लम्हे
जल्द ही गुजर जायेंगे
फिर से आएगी नई सुबह
फिर से चेहरे खिलखिलाएँगे
न जाने किस की सजा
मिली जो अपने बिछड़ गए
हर दिन एक सा नही रहता
फिर से नव मंगल सब गायेंगे
जैसे तूफ़ान आता है धरा पर
ऐसा ही आया सब की जिन्दगी में
नही की थी कभी ऐसी कल्पना
सब का बेडा प्रभु ही पार लगायेंगे
मत होना निराश यही इम्तेहान था
सब की सोच से आगे हर पैगाम था
खुलेंगे नए रास्ते , नई मंजिल मिलेगी
फिर से घर घर में चिराग रौशन हो जायेंगे
अजीत कुमार तलवार
मेरठ