*आदर्शता का पाठ*
प्रातः उठो, शौच करो व्यायाम।
थोड़ा लो फिर आराम।
बुरा न हो पकड़ो कान।
मात पिता का कहना मानो,
शिष्टाचार की भाषा जानों।
अच्छे बुरे को तुम पहचानो।
गुरु का कहना भी तुम मानो।
दया करो परोपकार करो, नियमानुसार काम करो।
बड़ों का सम्मान करो।
पापी से कभी ना डरो।
दीन दुखियों की मदद करो।
अच्छा हो हर एक दिन हमारा,
उसके लिए आह भरो।
झूठ कभी न तुम बोलो।
बातों को मन में तोलों।
उसके बाद ही मुंह खोलो।
झूठ नहीं सत्य बोलो।
बिन मतलब के ना बोलो।
कड़वा नहीं मीठा बोलो।
दूसरों को कभी ना सताओ।
निंदा से ना तुम घबराओ।
अपनी सबसे कमी बताओ।
अपनों से न बात छुपाओ।
एकाग्रचित होकर ध्यान लगाओ।
अपनों को ना कभी भुलाओ।
लड़ाई झगड़ों से दूर रहो।
बुरे कर्मों से दूर रहो।
ना कभी तुम क्रूर रहो।
नशे में ना कभी चूर रहो।
नित्य करो साफ- सफाई।
खुद लगा लो झाड़ू भाई।
खुद करने में नहीं बुराई।
स्वच्छता जरूर अपनाओ भाई।
सम्मान दोगे सम्मान मिलेगा।
तुम जलोगे कोई तुमसे जलेगा।
ईर्ष्या से ना काम चलेगा।
जैसा बोओगे वैसा फलेगा।
अच्छे कार्य की लिस्ट बनाओ।
इससे अपने को तोल पाओ।
बुरा किया तो तुम पछताओ।
त्यागो बुरा अच्छा अपनाओ।
सो रात को मन में ढानों।
बुरा क्या हुआ पहचानो।
आगे ना हो बुरा कभी भी, ये बात मन में ठानों।
अपना बना लोगे गैरों को भी, इस जुबान से।
बस बोली में मिठास चाहिए, देखो दूसरों को मान से।
सुधार लो अपने को आज भी समय है,
पछतावा रहेगा जब निकल जाएगा तीर कमान से।।
जो तुमने याद किया, उसको रात को तुम गुनगुनाओ।
सुबह शाम जरूर पढ़ेंगे इसके लिए नियम बनाओ।
भूलोगे नहीं निश्चित आपको सब कुछ याद होगा।
दुष्यन्त कुमार का अनुभव सदा आपके साथ होगा।।