हँसने-हँसाने में नहीं कोई खामी है।
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
धमकियाँ देना काम है उनका,
ईश्वर का "ह्यूमर" रचना शमशान वैराग्य - Fractional Detachment
कैसे कहूँ ‘आनन्द‘ बनने में ज़माने लगते हैं
पुण्यात्मा के हाथ भी, हो जाते हैं पाप ।
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
*बाल काले न करने के फायदे(हास्य व्यंग्य)*
"आशा" की चौपाइयां
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मणिपुर कौन बचाए..??
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
उनको असफलता अधिक हाथ लगती है जो सफलता प्राप्त करने के लिए सह
दलाल ही दलाल (हास्य कविता)
मैं 🦾गौरव हूं देश 🇮🇳🇮🇳🇮🇳का
चोर उचक्के सभी मिल गए नीव लोकतंत्र की हिलाने को