आती रजनी सुख भरी, इसमें शांति प्रधान(कुंडलिया)
आती रजनी सुख भरी, इसमें शांति प्रधान(कुंडलिया)
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आती रजनी सुख भरी, इसमें शांति प्रधान
सोता इसकी गोद में ,जगत बिना व्यवधान
जगत बिना व्यवधान , सुखद अंधेरा भाता
पलकें होतीं बंद , सूर्य का शोर न आता
कहते रवि कविराय ,आँख कब है चुँधियाती
सघन कालिमा व्याप्त ,मधुर रजनी जब आती
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451