आतंकवाद को जड़ से मिटा दो
होगी खत्म कब , ऐसी मौतें ।
देखेंगे कब तक , ये मौतें ।।
कोख किसी की , सूनी होते ।
माथे का सिंदूर, यूँ मिटते ।।
नामो निशां अब , उसका मिटा दो ।
आतंकवाद को , जड़ मिटा दो ।।
बच नहीं पाये , आतंकवादी ।
पाकिस्तान को , सबक सिखा दो ।।
अब ना अनाथ हो , कोई बच्चा ।
ना रहे अधूरी , बहिन की इच्छा ।।
बुढ़ापे का सहारा, मिटे नहीं ।
चिता वीरों की , ऐसे जले नहीं ।।
आतंकवाद को , जड़ से मिटा दो ।
पाकिस्तान को , सबक सिखा दो ।।
अश्क बहे ना , जिन आंखों से ।
देखकर ऐसे , वीरों की लाशों पे ।।
देशभक्त वह , हो नहीं सकता ।
हिंदुस्तानी वह, हो नहीं सकता ।।
बेकार न जाये , वीरों की कुर्बानी।
जागो अब तो , हिंदुस्तानी ।।
आतंकवाद को , जड़ से मिटा दो ।
पाकिस्तान को , सबक सिखा दो ।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)