“आज मैंने”
“आज मैंने”
आज मैंने
माँ की फटी साड़ियाँ देखी
तब सोचने लगा
क्या इन्हीं साड़ियों में
छुपती है ममता की छाँव?
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“आज मैंने”
आज मैंने
माँ की फटी साड़ियाँ देखी
तब सोचने लगा
क्या इन्हीं साड़ियों में
छुपती है ममता की छाँव?
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति