आज फिर उसकी याद आ गई
आज फिर उसकी याद आ गई
देकर वास्ता हमे फिर रुला गई
इक वो ही तो थी जो मन को भा गई।
भटक रही थी जिंदगानी अंधेरी रातों में
बातें उसकी जीने की नई उम्मीद दिला गई।
अंदाज़ जुदा है उसके जीने का
होकर मेरी मुझको अपना बना गई।
सोए हुए थे शायद गहरी नींद में हम
उसकी मीठी बातें अरमान फिर से जगा गई।
बिखरा पड़ा था सदियों से आशियाँ मेरा
वो आकर मेरा सारा घर सजा गई।।