आज के युवा
वह दुनिया से दूर
अपनी एक दुनिया बसाए बैठे है,
आज के युवा ,
हकीक़त से दूर
अपने ख्वाबों की दुनिया सजाए बैठे है।
सच से वह चिढ़ते है ,
वह झूठ को सच बनाए बैठे है ,
आज के युवा , बंद कमरों से दिल लगाए बैठे है ।
कला को कालीन ,
और कालीन को कला बनाए बैठे है
यह आज के युवा यारो ,
भ्रष्ट चिजो को गले लगाए बैठे है ।
हारने के डर से
वह पहले ही हार जाते है
वो कुछ करने की
कोशिश भी नहीं करना चाहते है।
ना नए हौसले ,
ना नई उमंग रखते है ,
ना जाने क्यों ??
आज के युवा इतने मायूस लगते है ।।
❤️ स्कंदा जोशी